शनिवार, 29 दिसंबर 2018

Nagendra pal soni

हैलो दोस्तों नमस्कार मै नागेन्द्र पाल सोनी आपका स्वागत करता हूं

Happy New Year

New year love shayari


नया साल आये बनके उजाला,

खुल जाए आपकी किस्मत का ताला

हमेशा आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला

यही दुआ करता हैं आपका यह चाहने वाला..!

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं।



 नया साल, नयी उम्मीदें,

 नए विचार और नयी शुरुवात भगवन


Happy new year shayari
आपके सारे गम खुशियों में तोल दूँ,

अपने सारे राज़ आपके सामने खोल दूँ

कोई मुझसे पहले न बोल दे,

इसलिए सोचा क्यों न आज ही,

आपको हैप्पी न्यू इयर बोल दूँ!..!!


Bachpan shayari in hindi


सुकून की बात मत कर

     ऐ ग़ालिब,

बचपन वाला इतवार अब

    नहीं आता!

Bachpan shayari


झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम

ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम

Happy new year shayari


हर नया साल आएगा,

हर पुराना साल जाएगा,

पर तेरा यह यार तुझको,

कभी भुला ना पाएगा,

नए साल की शुभकामनाएं ।
Nagendra pal soni
 नागेंद्र पाल सोनी

Ek Wada tha

एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे,
एक लड़का और एक लड़की एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे.
दुर्भाग्य से लड़का मार गया.......
मरने के बाद उसने लड़की से कहा

"एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे,
तू मिलेगी मुझे हर दरवाज़े क पीछे,
पर तू मुझे रुसवा कर गयी
एक तू ही ना थी मेरे जनाज़े के पीछे".

इतने में लड़की की आवाज़ आई,
उसने कहा . . . . .

एक वादा था मेरे हर वादे के पीछे,
मैं मिलूँगी तुझे हर दरवाज़े के पीछे,
पर तूने ही मूड के ना देखा,
एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे
Nagendra pal soni
                          नागेंद्र पाल सोनी
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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

~ ~ चतुर खरगोश और शेर ~ मित्रभेद ~ पंचतंत्र|

~ ~ चतुर खरगोश और शेर ~ मित्रभेद ~ पंचतंत्र|


किसी घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। वह रोज शिकार पर निकलता और एक ही नहीं, दो नहीं कई-कई जानवरों का काम तमाम देता। जंगल के जानवर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि जंगल में कोई भी जानवर नहीं बचेगा।



सारे जंगल में सनसनी फैल गई। शेर को रोकने के लिये कोई न कोई उपाय करना ज़रूरी था। एक दिन जंगल के सारे जानवर इकट्ठा हुए और इस प्रश्न पर विचार करने लगे। अन्त में उन्होंने तय किया कि वे सब शेर के पास जाकर उनसे इस बारे में बात करें। दूसरे दिन जानवरों के एक दल शेर के पास पहुंचा। उनके अपनी ओर आते देख शेर घबरा गया और उसने गरजकर पूछा, ‘‘क्या बात है ? तुम सब यहां क्यों आ रहे हो ?’’

जानवर दल के नेता ने कहा, ‘‘महाराज, हम आपके पास निवेदन करने आये हैं। आप राजा हैं और हम आपकी प्रजा। जब आप शिकार करने निकलते हैं तो बहुत जानवर मार डालते हैं। आप सबको खा भी नहीं पाते। इस तरह से हमारी संख्या कम होती जा रही है। अगर ऐसा ही होता रहा तो कुछ ही दिनों में जंगल में आपके सिवाय और कोई भी नहीं बचेगा। प्रजा के बिना राजा भी कैसे रह सकता है ? यदि हम सभी मर जायेंगे तो आप भी राजा नहीं रहेंगे। हम चाहते हैं कि आप सदा हमारे राजा बने रहें। आपसे हमारी विनती है कि आप अपने घर पर ही रहा करें। हर रोज स्वयं आपके खाने के लिए एक जानवर भेज दिया करेंगे। इस तरह से राजा और प्रजा दोनो ही चैन से रह सकेंगे।’’ शेर को लगा कि जानवरों की बात में सच्चाई है। उसने पलभर सोचा, फिर बोला अच्छी बात है। मैं तुम्हारे सुझाव को मान लेता हूं। लेकिन याद रखना, अगर किसी भी दिन तुमने मेरे खाने के लिये पूरा भोजन नहीं भेजा तो मैं जितने जानवर चाहूंगा, मार डालूंगा।’’ जानवरों के पास तो और कोई चारा नहीं। इसलिये उन्होंने शेर की शर्त मान ली और अपने-अपने घर चले गये।




उस दिन से हर रोज शेर के खाने के लिये एक जानवर भेजा जाने लगा। इसके लिये जंगल में रहने वाले सब जानवरों में से एक-एक जानवर, बारी-बारी से चुना जाता था। कुछ दिन बाद खरगोशों की बारी भी आ गई। शेर के भोजन के लिये एक नन्हें से खरगोश को चुना गया। वह खरगोश जितना छोटा था, उतना ही चतुर भी था। उसने सोचा, बेकार में शेर के हाथों मरना मूर्खता है। अपनी जान बचाने का कोई न कोई उपाय अवश्य करना चाहिये, और हो सके तो कोई ऐसी तरकीब ढूंढ़नी चाहिये जिसे सभी को इस मुसीबत से सदा के लिए छुटकारा मिल जाये। आखिर उसने एक तरकीब सोच ही निकाली।
[post_ads] खरगोश धीरे-धीरे आराम से शेर के घर की ओर चल पड़ा। जब वह शेर के पास पहुंचा तो बहुत देर हो चुकी थी।



भूख के मारे शेर का बुरा हाल हो रहा था। जब उसने सिर्फ एक छोटे से खरगोश को अपनी ओर आते देखा तो गुस्से से बौखला उठा और गरजकर बोला, ‘‘किसने तुम्हें भेजा है ? एक तो पिद्दी जैसे हो, दूसरे इतनी देर से आ रहे हो। जिन बेवकूफों ने तुम्हें भेजा है मैं उन सबको ठीक करूंगा। एक-एक का काम तमाम न किया तो मेरा नाम भी शेर नहीं।’’

नन्हे खरगोश ने आदर से ज़मीन तक झुककर, ‘‘महाराज, अगर आप कृपा करके मेरी बात सुन लें तो मुझे या और जानवरों को दोष नहीं देंगे। वे तो जानते थे कि एक छोटा सा खरगोश आपके भोजन के लिए पूरा नहीं पड़ेगा, ‘इसलिए उन्होंने छह खरगोश भेजे थे। लेकिन रास्ते में हमें एक और शेर मिल गया। उसने पांच खरगोशों को मारकर खा लिया।’’

यह सुनते ही शेर दहाड़कर बोला, ‘‘क्या कहा ? दूसरा शेर ? कौन है वह ? तुमने उसे कहां देखा ?’’

‘‘महाराज, वह तो बहुत ही बड़ा शेर है’’, खरगोश ने कहा, ‘‘वह ज़मीन के अन्दर बनी एक बड़ी गुफा में से निकला था। वह तो मुझे ही मारने जा रहा था। पर मैंने उससे कहा, ‘सरकार, आपको पता नहीं कि आपने क्या अन्धेर कर दिया है। हम सब अपने महाराज के भोजन के लिये जा रहे थे, लेकिन आपने उनका सारा खाना खा लिया है। हमारे महाराज ऐसी बातें सहन नहीं करेंगे। वे ज़रूर ही यहाँ आकर आपको मार डालेंगे।’

‘‘इस पर उसने पूछा, ‘कौन है तुम्हारा राजा ?’ मैंने जवाब दिया, ‘हमारा राजा जंगल का सबसे बड़ा शेर है।’


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‘‘महाराज, ‘मेरे ऐसा कहते ही वह गुस्से से लाल-पीला होकर बोला बेवकूफ इस जंगल का राजा सिर्फ मैं हूं। यहां सब जानवर मेरी प्रजा हैं। मैं उनके साथ जैसा चाहूं वैसा कर सकता हूं। जिस मूर्ख को तुम अपना राजा कहते हो उस चोर को मेरे सामने हाजिर करो। मैं उसे बताऊंगा कि असली राजा कौन है।’ महाराज इतना कहकर उस शेर ने आपको लिवाने के लिए मुझे यहां भेज दिया।’’

खरगोश की बात सुनकर शेर को बड़ा गुस्सा आया और वह बार-बार गरजने लगा। उसकी भयानक गरज से सारा जंगल दहलने लगा।
https://youtu.be/fhCOJLBXcN4

गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

Nagendra Pal Soni Ki Kuch Photos

नागेन्द्र पाल सोनी की कुछ फोटो


सेम मुखेम की फोटो



देवेन्द्र के साथ की फोटो



  • Nagendra pal soni

बुधवार, 26 दिसंबर 2018

महा लक्ष्मी की कथा

महा लक्ष्मी की कथा
लेखक नागेंद्र पाल सोनी जी कहते है कि यह कहानी जो मैं आप लोगों को सुनाने जा रहा हूं ने जा रहा हूं उसे ध्यान मग्न पढें जय श्री राधे कृष्णा


पुराने समय की बात है। एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह नियमित रूप से श्री विष्णु का पूजन करता था।

उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और अपनी मनोकामना मांगने को कहा- ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास  घर में हो ऐसी इच्छा जाहिर की। यह सुनकर विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग सरल ब्राह्मण को बता दिया।


Nagendra pal soni

विष्णुजी ने कहा कि - 'मंदिर के सामने एक स्त्री आती है। जो यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना। वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है। देवी लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बाद तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जाएगा।'

यह कहकर विष्णु जी चले गए। अगले दिन सुबह चार बजे ही ब्राह्मण मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी भी उपले थापने के लिए आईं, तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गई, कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है।

लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा - तुम महालक्ष्मी व्रत करो, सोलह दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूर्ण होगा।

ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा। लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूर्ण किया। उस दिन से यह व्रत पूरी श्रद्वा से किया जाता है। जो भक्त इसे पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत करता है उसे अपार धन क‍ी प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है।
लेखक नागेंद्र पाल सोनी

Nagendra Pal Soni

नागेंद्र पाल सोनी द्वारा लिखी हुई यह कहानी जो कि हमें सिखाती है कि हम कमजोर क्यों हमारी आखिरी कमजोरी क्या है हमें कमजोर नहीं मजबूत बनना है हमें दुनिया में कुछ नया बनाना है इस कहानी से आपको निकलेगी कि कैसे हम अपने मन से हार मानते हैं इसीलिए कहा गया है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत
सच्ची कहानी एक बार जरूर पढे।
एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ट था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे. उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते, और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.” आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!! इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं. याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए आप हाथी नहीं इंसान हैं ।
#A_C"
लेखक नागेंद्र पाल सोनी

Nagendra pal soni

Nagendra pal soni

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