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शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

मां और बेटे की अटूट प्रेम कहानी

         " एक बेटा ऐसा भी

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माँ , मुझे कुछ महीने के लिये विदेश जाना पड़ रहा है । 

तेरे रहने का इन्तजाम मैंने करा दिया है । 

" तक़रीबन 32 साल के , अविवाहित डॉक्टर सुदीप ने देर रात घर में घुसते ही कहा ।

बेटा , तेरा विदेश जाना ज़रूरी है क्या ? 

" माँ की आवाज़ में चिन्ता और घबराहट झलक रही थी ।

 ' माँ , मुझे इंग्लैंड जाकर कुछ रिसर्च करनी है । 

वैसे भी कुछ ही महीनों की तो बात है ।

" सुदीप ने कहा ।

 ' जैसी तेरी इच्छा । 

" मरी से आवाज़ में माँ बोली । 

और छोड़ आया सुदीप अपनी माँ ' प्रभा देवी ' को पड़ोस वाले शहर में स्थित एक वृद्धा - आश्रम में ।

 वृद्धा - आश्रम में आने पर शुरू - शुरू में हर बुजुर्ग के चेहरे पर जिन्दगी के प्रति हताशा और निराशा साफ झलकती थी । 

पर प्रभा देवी के चेहरे पर वृद्धा - आश्रम में आने के बावजूद कोई शिकन तक न थी ।

एक दिन आश्रम में बैठे कुछ बुजुर्ग आपस में बात कर रहे थे ।

उनमें दो - तीन महिलायें भी थीं । उनमें से एक ने कहा , " डॉक्टर का कोई सगा - सम्बन्धी नहीं था जो अपनी माँ को यहाँ छोड़ गया ।

" तो वहाँ बैठी एक महिला बोली , " प्रभा देवी के पति की मौत जवानी में ही हो गयी थी । तब सुदीप कुल चार साल का था । पति की मौत के बाद , प्रभा देवी और उसके बेटे को रहने और खाने के लाले पड़ गये ।

तब किसी भी रिश्तेदार ने उनकी मदद नहीं की । प्रभा देवी ने लोगों के कपड़े सिल - सिल कर अपने बेटे को पढ़ाया । बेटा भी पढ़ने में बहुत तेज था , तभी तो वो डॉक्टर बन सका । 

" वृद्धा - आश्रम में करीब 6 महीने गुज़र जाने के बाद एक दिन प्रभा देवी ने आश्रम के संचालक राम किशन शर्मा जी के ऑफिस के फोन से अपने बेटे के मोबाईल नम्बर पर फोन किया , और कहा , " सुदीप तुम हिंदुस्तान आ गये हो या अभी इंग्लैंड में ही हो ? " " माँ , अभी तो मैं इंग्लैंड में ही हूँ । " सुदीप का जवाब था । तीन - तीन , चार - चार महीने के अंतराल पर प्रभा देवी सुदीप को फ़ोन करती उसका एक ही जवाब होता , 

मैं अभी वहीं हूँ , जैसे ही अपने देश आऊँगा तुझे बता दूंगा । " इस तरह तक़रीबन दो साल गुजर गये । अब तो वृद्धा - आश्रम के लोग भी कहने लगे 

कि देखो कैसा चालाक बेटा निकला , कितने धोखे से अपनी माँ को यहाँ छोड़ गया । आश्रम के ही किसी बुजुर्ग ने कहा , " मुझे तो लगता नहीं कि डॉक्टर विदेश - पिदेश गया होगा , वो तो बुढ़िया से छुटकारा पाना चाह रहा था । " तभी किसी और बुजुर्ग ने कहा , " मगर वो तो शादी - शुदा भी नहीं था । "

II अरे होगी उसकी कोई ' गर्ल - फ्रेण्ड ' , जिसने कहा होगा पहले माँ के रहने का अलग इंतजाम करो , 

तभी मैं तुमसे शादी करूँगी । " दो साल आश्रम में रहने के बाद अब प्रभा देवी को भी अपनी नियति का पता चल गया । बेटे का गम उसे अंदर ही अंदर खाने लगा । वो बुरी तरह टूट गयी । 

दो साल आश्रम में और रहने के बाद एक दिन प्रभा देवी की मौत हो गयी । उसकी मौत पर आश्रम के लोगों ने आश्रम के संचालक शर्मा जी से कहा , 

" इसकी मौत की खबर इसके बेटे को तो दे दो । हमें तो लगता नहीं कि वो विदेश में होगा , वो होगा यहीं कहीं अपने देश में । " इसके बेटे को मैं कैसे खबर करूँ । उसे मरे तो तीन साल हो गये । 

" शर्मा जी की यह बात सुन वहाँ पर उपस्थित लोग सनाका II खा गये । उनमें से एक बोला , " अगर उसे मरे तीन साल हो गये तो प्रभा देवी से मोबाईल पर कौन बात करता था । " 

" वो मोबाईल तो मेरे पास है , जिसमें उसके बेटे की रिकॉर्डेड आवाज़ है । " शर्मा जी बोले । " पर ऐसा क्यों ? " किसी ने पूछा ।

II तब शर्मा जी बोले कि करीब चार साल पहले जब सुदीप अपनी माँ को यहाँ छोड़ने आया तो उसने मुझसे कहा , शर्मा जी मुझे ' ब्लड कैंसर ' हो गया है । 

और डॉक्टर होने के नाते मैं यह अच्छी तरह जानता हूँ , कि इसकी आखिरी स्टेज में मुझे बहुत तकलीफ होगी । मेरे मुँह से और मसूड़ों आदि से खून भी आयेगा । 

मेरी यह तकलीफ़ माँ से देखी न जा सकेगी । वो तो जीते जी ही मर जायेगी । मुझे तो मरना ही है पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण मेरे से पहले मेरी माँ मरे । 

मेरे मरने के बाद दो कमरे का हमारा छोटा सा ' फ्लेट ' और जो भी घर का सामान आदि है वो मैं आश्रम को दान कर दूँगा । " 

यह दास्ताँ सुन वहाँ पर उपस्थित लोगों की आँखें झलझला आयीं । 

प्रभा देवी का अन्तिम संस्कार आश्रम के ही एक हिस्से में कर दिया गया । उनके अन्तिम संस्कार में शर्मा जी ने आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के परिवार वालों को भी बुलाया ।

माँ - बेटे की अनमोल और अटूट प्यार की दास्ताँ का ही असर था कि कुछ बेटे अपने बूढ़े माँ / बाप को वापस अपने घर ले गये ।

                   लेखक - नागेन्द्र पाल सोनी .........


रविवार, 14 फ़रवरी 2021

एक सन्यासी और राजा की कहानी

एक संन्यासी एक राजा के पास पहुचे। राजा ने उनका आदर सत्कार किया। कुछ दिन उनके राज्य में रुकने के पश्चात संन्यासी ने जाते समय राजा से अपने लिए उपहार मांगा।

राजा ने एक पल सोचा और कहा - "जो कुछ भी खजाने में है, आप ले सकते हैं।"

संन्यासी ने उत्तर दिया - "लेकिन खजाना तुम्हारी संपत्ति नहीं है, वह तो राज्य का है और तुम सिर्फ ट्रस्टी हो।"

"तो यह महल ले लो।"



"यह भी प्रजा का है।" - संन्यासी ने हंसते हुए कहा।

"तो मेरा यह शरीर ले लो। आपकी जो भी मर्जी हो, आप पूरी कर सकते हैं।" - राजा बोला।

"लेकिन यह तो तुम्हारी संतान का है। मैं इसे कैसे ले सकता हूं?" -संन्यासी ने उत्तर दिया।

"तो महाराज आप ही बतायें कि ऐसा क्या है जो मेरा हो और आपके लायक हो?" - राजा ने पूछा।

संन्यासी ने उत्तर दिया - "हे राजा, यदि आप सच में मुझे कुछ उपहार देना चाहते हैं, तो अपना अहंकार, अपना अहम दे दो।"

"अहंकार पराजय का द्वार है। अहंकार यश का नाश करता है।यह खोखलेपन का परिचायक है।""

शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

एक लड़का एक लड़की की दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी

                       दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी

लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है - अच्छा किसी दूसरे लड़के से मेरी शादी हो जाए तो तुम क्या करोगे लड़का - तुम्हें भूल जाऊंगा ( लड़के ने बहुत छोटा सा जवाब दिया ) ये सुनकर लड़की गुस्से में दूसरी तरफ घूम कर बैठ गई फिर लड़के ने कहा - सबसे बड़ी बात कि तुम मुझे भूल जाओगी जितना जल्दी मैं तुम्हें भुला सकूँगा उससे ज्यादा जल्दी तुम मुझे भुला दोगी !

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कैसे ? लड़की ने पूछा लड़के ने बोलना शुरू किया - " सोचो शादी का पहला दिन है तुम एक तरह के घर में हो शरीर पर जेवर चेहरे पर मेक अप चारों तरफ कैमरे का फ्लैश और लोगों की भीड़ जहां तुम मुझे चाह कर भी याद नहीं कर सकती ! " और मैं तुम्हारी शादी की खबर सुनकर दोस्तों के साथ कुछ उटपटांग पी कर किसी कोने में पड़ा रहूंगा और फिर जब मुझे होश आएगा तब मैं तुम्हें धोखेबाज बेवफा बोलकर गाली दूंगा ! 

" " फिर जब तुम्हारी याद आएगी तो दोस्त के कंधे पे सरकार रख के रो लूंगा ! शादी के बाद तुम्हारा बिजी टाइम शुरू फिर तुम अपने पति और हजार तरह के रस्मों को निभाने में बिजी रहोगी . फिर कभी कभी तुम्हें मेरी याद आएगी जब तुम अपने पति का हाथ पकड़ोगी उसके साथ बाइक पर बैठोगी ! " और मैं आवारा की तरह इधर उधर घूमता रहूंगा जैसे जिंदगी का कोई मकसद ही नहीं और अपने दोस्तों को समझाऊंगा कि " 

कभी प्यार मत करना कुछ नहीं मिलता जिंदगी खतम हो जाती है प्यार के चक्कर में

 कुछ वक्त बाद तुम पति के साथ हनीमून पर जाओगी नया घर होगा शॉपिंग होगी नयी जिम्मेदारियां अब तुम बहुत खुश हो अचानक तुम्हें मेरी याद आएगी और तुम सोचोगी . " पता नहीं किस हाल में होगा और मेरी खुशी की दुआ मांगते हुए वापस अपने परिवार में बिजी हो जाओगी !

मैं अब तक मम्मी पापा भाई या फिर दोस्तों से डांट सुन सुन कर लगभग सुधर गया हूं सोच लिया अब कोई काम करना है एक अच्छी सी लड़की से शादी करके तुम्हें भी दिखा देना है और सबको यही बोलूंगा कि भुला दिया है मैंने तुम्हें लेकिन तब भी मैं तुम्हारे मैसेजेस को आधी रात को

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निकाल कर पढूंगा और सोचूंगा 

शायद मेरे प्यार में ही कमी थी जो तुम्हें न पा सका 

फिर अपनी तकलीफ को कम करने की कोशिश करूंगा 2 साल बाद अब तुम कोई प्रेमिका या नई दुल्हन नहीं रही अब तुम # मां बन चुकी हो पुराने आशिक की याद और पति के प्यार को छोड़कर तुम अपने बच्चे के लिए सोचोगी अब तुम अपने बच्चे के साथ बिजी रहोगी मतलब अब तक मैं तुम्हारी जिंदगी से परमानेन्टली डिलीट हो चुका हूं इधर मुझे भी अच्छा काम मिल गया है शादी की बात चल रही है और लड़की भी पसंद हो गई है अब मेरा बिजी टाइम शुरू हो गया अब मैं तुम्हें सचमुच भूल गया हूं अगर किसी जोड़ी को देखता हूं तो तुम्हारी याद आती है लेकिन अब तकलीफ नहीं होती ... 

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यहां तक सुनने के बाद लड़के ने देखा लड़की की आंख में आंसू छलक रहे हैं लड़की भरी आंखों से लड़के की तरफ देखती है दोनों बिल्कुल चुप हैं पर आंखे बरस रही हैं थोड़ी देर बाद लड़की - " तो क्या सब कुछ यहीं खतम हो जाएगा ? लड़का - " नहीं . ! किसी बात जब तुम रूठ जाओगी अपने पति से किसी बात पर लेकिन तुम्हारे पति आराम से सो रहे होंगे पर उस रात तुम्हारी आंखों में नींद नहीं होगी और इधर मैं भी अपनी पत्नी से किसी बात पर खफा होकर तुम्हारी तरह जागूंगा . पूरी दुनिया सो रही होगी सिर्फ हम दोनों के अलावा फिर हम अपने अतीत को याद करके खूब रोएंगे . एक दूसरे को बहुत महसूस करेंगे लेकिन 

इस बात का भगवान के अलावा और किसी को पता नहीं चलेगा

 बस इतना कहकर वो दोनों रोते हुए एक दूसरे को गले लगा लेते हैं

                       लेखक - नागेन्द्र पाल सोनी

Nagendra pal soni

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