लोकतंत्र की परिभाषा तभी समझ आ गई थी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
लोकतंत्र की परिभाषा तभी समझ आ गई थी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

लोकतंत्र की परिभाषा तभी समझ आ गई थी

लोकतंत्र की परिभाषा तभी समझ आ गई थी


 पण्डित जी के बड़े बेटे का कहना है कि उनका लोकतंत्र पर से यकीन सन 88 में ही उठ गया था। 

 उनकी जुबानी - "जब  स्कूल की छुट्टियां हुई और रात को खाने की मेज़ पर पापा ने पूछा - "बताओ बच्चों छुट्टियों में दादा जी के घर जाना है या नाना जी के ?"

सब बच्चों ने खुशी से हम आवाज़ होकर नारा लगाया - "दादा जी  के ..."

लेकिन अकेली मम्मी ने कहा कि 'नाना जी  के...।'


बहुमत चूंकि दादा जी के हक़ में था, लिहाज़ा मम्मी का मत हार गया और पापा ने बच्चों के हक़ में फैसला सुना दिया, और हम दादा जी के घर जाने की खुशी दिल में दबा कर सो गए। 


अगली सुबह मम्मी ने तौलिए से गीले बाल सुखाते हुए मुस्कुरा कर कहा - "सब बच्चे जल्दी जल्दी कपड़े बदल लो हम नाना जी  के घर जा रहे हैं...।"

मेंने हैरत से मुँह फाड़ के पापा की तरफ देखा, तो वो नज़रें चुरा कर अख़बार पढ़ने की  अदाकारी करने लगे। 


बस मैं उसी वक़्त समझ गया था कि लोकतंत्र में फैसले जनता की खुशियों के लिए नहीं, बल्कि बन्द कमरों में उस वक़्त होते हैं, जब जनता सो रही होती है!"

Nagendra pal soni

kinemaster mod apk no watermark digitbin old version

  KineMaster Mod Apk No Watermark Download ? दोस्तों यदि आप बिना Watermark के अपने एंड्रॉयड मोबाइल में Kine Master ऐप का इस्तेमाल करना चाहते...