सोमवार, 14 सितंबर 2020

चोर और कुआँ


चोर और कुआँ

लेखक - नागेन्द्र पाल सोनी

एक बार जब राजा कृष्णदेवराय जेल का सर्वेक्षण करने के लिए गए, तो वहाँ पर बंदी बनाए गए दो चोरों ने राजा से दया करने की सिफारिश की। उन्होंने बताया कि वे दोनों चोरी करने में मदद कर रहे थे, इसलिए वे दोनों अन्य चोरों को पकड़ने में राजा की मदद कर सकते हैं।



राजा एक दयालु शासक था इसलिए उन्होंने अपने सिपाहियों से कह कर उन दोनों ठों को रिहा करने का हुक्म दे दिया लेकिन एक शर्त के साथ। राजा ने चोरों से कहा कि हम तुम्हें रिहा कर देंगे और तुम्हें अपने जासूस के रूप में नियुक्त करेंगे, अगर तुम लोग मेरे वकील तेनालीराम के घर में घुसकर वहाँ से कीमती सामान चुराने में कामयाब रहे तो। थोंस ने राजा की चुनौती को स्वीकार कर लिया।

उसी रात दोनों चोर तेनालीराम के घर गए और झाड़ियों के पीछे छिप गए। रात के खाने के बाद, जब तेनालीराम टहलने के लिए बाहर गए, तो उन्होंने झाड़ियों के बीच में कुछ सरदारों की बात सुनी। उन्हें अपने बगीचे में चोरों की मौजूदगी का एहसास हुआ।

थोड़ी देर बाद वह अंदर गए और अपनी पत्नी को जोर से कहा कि उन्हें अपने कीमती सामान के बारे में सावधान रहना होगा, क्योंकि दो चोर भाग रहे थे। उन्होंने अपनी पत्नी को सभी सोने और चांदी के सिक्के और आभूषण को एक बक्से में रख देने को कहा। चोरों ने तेनाली और उसकी पत्नी के बीच की बातचीत को सुना।

कुछ समय बाद, तेनालीराम ने बक्से को अपने घर के पीछे मौजूद कुएं में ले जाकर फेंक दिया। चोरों ने यह सब देखा। जैसे ही तेनाली अपने घर के अंदर गए, दोनों चोरों ने कुएं के पास जाकर उसमें से पानी निकालना शुरू कर दिया। वे पूरी रात पानी खींचते रहे। लगभग भोर में, वो उस बक्से को बाहर निकालने में कामयाब रहे, लेकिन उसमें मौजूद पत्थर देखकर चौंक गए। तभी तेनालीराम बाहर आए और उन चोरों से कहा कि हमें रात में अच्छी तरह से सोने के लिए और मेरे पौधों को पानी देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद । दोनों चोरों समझ गए कि तेनालीराम ने उन्हें बेवकूफ बनाया है। उन्होंने तेनालीराम से माफी मांगी और उन्होंने उन चोरों को जाने दिया।

नैतिक शिक्षा


कहानी से नैतिक शिक्षा ये मिलती है कि आपको हमेशा गलत चीजों को स्वीकार करने से बचना चाहिए।


अकबर बीरबल की कहानी: रेत से चीनी अलग करना | Ret Chini Alag

 अकबर बीरबल की कहानी: रेत से चीनी अलग करना | Ret Chini Alag



लेखक - नागेन्द्र पाल सोनी


एक बार बादशाह अकबर, बीरबल और सभी मंत्रीगण दरबार में बैठे हुए थे। सभा की कार्यवाही चल रही थी। एक-एक करके राज्य के लोग अपनी समस्याएं लेकर दरबार में आ रहे थे। इसी बीच वहां एक व्यक्ति दरबार में पहुंचा। उसके हाथ में एक मर्तबान था। सभी उस मर्तबान की ओर देख रहे थे, तभी अकबर ने उस व्यक्ति से पूछा – ‘क्या है इस मर्तबान में?’




उसने कहा, ‘महाराज इसमें चीनी और रेत का मिश्रण है।’ अकबर ने फिर पूछा ‘किसलिए?’ अब दरबारी ने कहा – ‘गलती माफ हो महाराज, लेकिन मैंने बीरबल की बुद्धिमत्ता के कई किस्से सुने हैं। मैं उनकी परीक्षा लेना चाहता हूं। मैं यह चाहता हूं कि बीरबल इस रेत में से बिना पानी का इस्तेमाल किए, चीनी का एक-एक दाना अलग कर दें।’ अब सभी हैरानी से बीरबल की ओर देखने लगे।



अब अकबर ने बीरबल की ओर देखा और कहा, ‘देख लो बीरबल, अब तुम कैसे इस व्यक्ति के सामने अपनी बुद्धिमानी का परिचय दोगे।’ बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘महाराज हो जाएगा, यह तो मेरे बाएं हाथ का काम है।’ अब सभी लोग हैरान थे कि बीरबल ऐसा क्या करेंगे कि रेत से चीनी अलग-अलग हो जाएगी? तभी बीरबल उठे और उस मर्तबान को लेकर महल में मौजूद बगीचे की ओर बढ़ चले। उनके पीछे वह व्यक्ति भी था।




अब बीरबल बगीचे में एक आम के पेड़ के नीचे पहुंचे। अब वह मर्तबान में मौजूद रेत और चीनी के मिश्रण को एक आम के पेड़ के चारों तरफ फैलाने लगे। तभी उस व्यक्ति ने पूछा, ‘अरे यह क्या कर रहे हो?’ इस पर बीरबल ने कहा, ‘ये आपको कल पता चलेगा।’ इसके बाद दोनों महल में वापस आ गए। अब सभी को कल सुबह का इंतजार था। अगली सुबह जब दरबार लगा, तो अकबर और सारे मंत्री एक साथ बगीचे में पहुंचे। साथ में बीरबल और रेत व चीनी का मिश्रण लाने वाला व्यक्ति भी था। सभी आम के पेड़ के पास पहुंच गए।




सभी ने देखा कि अब वहां सिर्फ रेत पड़ी हुई है। दरअसल, रेत में मौजूद चीनी को चीटियों ने निकालकर अपने बिल में इकट्ठा कर लिया था और बची-खुची चीनी को कुछ चीटियां उठाकर अपने बिल में ले जा रही थीं। इस पर उस व्यक्ति ने पूछा, ‘चीनी कहां गई?’ तो बीरबल ने कहा, ‘रेत से चीनी अलग हो गई है।’ सभी जोर-जोर से हंसने लगे। बीरबल की यह चतुराई देख अकबर ने उस व्यक्ति से कहा, ‘अगर अब तुम्हें चीनी चाहिए, तो तुम्हें चीटियों के बिल में घुसना पड़ेगा।’ इस पर सभी ने फिर से ठहाका लगाया और बीरबल की तारीफ करने लगे।

कहानी से सीख


किसी को नीचा दिखाने का प्रयास आपके लिए हानिकारक हो सकता है।







सोमवार, 7 सितंबर 2020

मंजिल उन्हीं को मिलती है




मंजिल उन्हीं को मिलती है

जिनके सपने में जान होती है

 पंखों से कुछ नहीं होता है

हौसलों से उड़ान होती है




Nagendra pal soni

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